हे ईश सब सुखी हों, कोई न हो दुखारी।
सब हों निरोग भगवन,धन धान्य के भण्डारी।।
सब भद्रभाव देखें, सन्मार्ग के पथिक हों।
दुखिया न कोई होवे, सृष्टि में प्राण धारी।।
हे ईश सब सुखी हों....।।
सुखी बसे संसार सब, दुखिया रहे न कोय।
यह अभिलाषा हम सब की, भगवान पूरी होय।।
विद्या बुद्धि तेज बल, सबके भीतर होय।
दूध पूत धन धान्य से, वंचित रहे न कोय।।
आपकी भक्ति प्रेम से, मन होवे भरपूर-2
राग द्वेष से चित्त मेरा, कोसों भागे दूर।।
मिले भरोसा आपका, हमे सदा जगदीश।
आशा तेरे नाम की, बनी रहे मम ईश।।
पाप से हमें बचाइए, करके दया दयाल-2
अपना भक्त बनाइके, सबको करो निहाल।।
दिल में दया उदारता, मन में प्रेम अपार।
हृदय में धारे दीनता, हे मेरे करतार।।
हाथ जोड़ विनती करूँ, सुनिए कृपा निधान-2
साधु संगत दीजिए, दया धर्म का दान।।
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।